Thursday, March 26, 2015

माँ

माँ 

माँ के लिए क्या लिखू माँ ने ख़ुद मुझे लिखा है, 
भगवान कंहा है पता नहीं पर माँ में मुझे वो दिखा है

माँ बनना कितना मुश्किल है ये माँ बनकर पता चला, 
माँ के हर मुसकान का राज मुझे आज पता चला

माँ मेरी माँ दुर्गा जैसी सर्व शक्ति सवरूपिनी,
माँ से ना हो पाये दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं

माँ के हाथ के पराँठे के आगे छप्पन भोग भी फीका है,
हर परिस्थिति का सामना करना माँ से ही सिखा है

बिना कहे ही समझ जाति है दिल की हर बात,
तबियत ख़राब हो जाय तो जाग जाति है पुरी रात

पढ़ाई की हर कठिनाई को माँ ने ही किया आसान,
बड़े प्यार से पुरा किया मेरे दिल के हर अरमान

सदा यूँही ख़ुश रहे ग़म का ना हे कोई नाम,
हसते और खिलखिलाते हुऐ बीते हर शाम

ये बात ज़ुबान पे कभी आयी नहीं की मुझको कितना प्यार है माँ से,
सच तो ये हे की मेरी हर साँस हे माँ से

ऐसी माँ की बेटी बनकर धन्य हुआ मेरा जीवन,
माँ की हर ख़ुशी के लिए कर दूँ मैं अपना सबकुछ समरपन