ख़्वाब जो साथ देखे है हमने
हर उस सपने को सजाना है
छोटे छोटे अनगिनत है
हर ख़्वाहिश को पंख लगाना है
भाग दौड़ की ज़िंदगी में
दो पल साथ बिताना है
ख़ूबसूरत से उस पल में
ख़ामोश ही रह जाना है
पहचान बनाने की इस दौड़ में
ख़ुद को भूल जाना है
ठेहरा हुआ एक शाम हो
सुकून आजमाना है
अनकही बातों के समंदर में
पलकों से सब कह जाना है
कुछ सवालों के इशारे पे
बस हल्का सा मुस्कुराना है
दूरी कभी ना हो हम में
इतना प्यार जताना है
आशियाँ हो तेरे बाहों का
तेरे बाहों में बस जाना है
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