Friday, February 2, 2018

ख़्वाब


ख़्वाब जो साथ देखे है हमने 
हर उस सपने को सजाना है 
छोटे छोटे अनगिनत है 
हर ख़्वाहिश को पंख लगाना है 

भाग दौड़ की ज़िंदगी में 
दो पल साथ बिताना है 
ख़ूबसूरत से उस पल में 
ख़ामोश ही रह जाना है 

पहचान बनाने की इस दौड़ में 
ख़ुद को भूल जाना है 
ठेहरा हुआ एक शाम हो
सुकून आजमाना है 

अनकही बातों के समंदर में 
पलकों से सब कह जाना है 
कुछ सवालों के इशारे पे 
बस हल्का सा मुस्कुराना है 

दूरी कभी ना हो हम में 
इतना प्यार जताना है
आशियाँ हो तेरे बाहों का 

तेरे बाहों में बस जाना है 

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