Thursday, January 18, 2018

माँ बनने के बाद मेरा पहला जन्मदिन

जन्मदिन की ख़ुशी किसे नहीं होती। उम्र चाहे कुछ भी हो, मन में उत्सुकता तो आ ही जाती है। और इस बार तो हमारे साथ हमारा नन्हा कान्हा भी था मेरे इस दिन को और ख़ास बनाने के लिए।
एक दिन पहले ही मेरे पति ने पूरी योजना बना ली थी घूमने फिरने का। मैंने भी पूरी तैयारी कर ली थी, क्या पहनना है, बेटे को क्या पहनना है, अलग से एक बैग भी तैयार कर लिया था।
रात को अचानक हमारे कुछ दोस्त आ गए केक लेकर! उस वक़्त मैं मेरे बेटे को सुला रही थी पर वो सो ही नहीं रहा था। सबके आने की आवाज़ सुनकर तो वो उठकर बैठ ही गया। मैं उसको लेकर बाहर आ गयी सबसे मिलने। बाहर आते ही उसने रोना शुरू कर दिया। मुझे लगा शायद सबको देख कर डर गया होगा। वो बिलकुल मेरे गोद से उतरना ही नहीं चाह रहा था। अपने पापा के गोद में भी नहीं जा रहा था। जैसे तैसे उसको लेकर ही मैंने केक काटा! मेरा पूरा ध्यान तो उस पे ही था। पता नहीं इतना अलग व्यव्हार क्यूँ कर रहा था। इतना तो कभी नहीं रोता।
मेरा ध्यान भटकता देख मेरे दोस्त भी मुझे समझने लगे की बच्चे की नींद नहीं हुई शायद इसलिए इतना रो रहा है। मुझे ख़राब भी लग रहा था कि वो लोग ज़्यादा बैठ नहीं पाए। सबके जाते ही मैं तुरंत वापिस उसे सुलाने की कोशिश करने लगी। जन्मदिन के लिए सबके फ़ोन भी आने लगे थे। किसी का भी फ़ोन उठा नहीं पायी।
वो काफ़ी देर तक रोता रहा फिर मेरे गोद में ही सो गया। उसकी नींद लगी तो मेरे जान में जान आयी। कुछ समझ नहीं आया की उसको अचानक हुआ क्या।
उसके सोने के बाद मुझे वक़्त मिला मेरा फ़ोन देखेने का। पर तब तक बहुत रात हो चुकी थी इसलिए मैंने सबको सुबह फ़ोन करने का सोचा और थोड़ी देर में हम भी सो गए।
सुबह उठते ही सबसे पहले घर से फ़ोन आ गया। उनसे बात हो ही रही थी कि इतने में फिरसे दूसरे कमरे से रोने की आवाज़ आयी। मैं भाग कर गयी तो देखा वो बैठ कर रो रहा था। मैंने उसे थोड़ी देर गोद में रखा तो वो वापिस सो गया। मैं वापिस चिंता करने लग गयी की ये इतना रो क्यूँ रहा है।
क़रीब दस बजे के आस पास मैं फ़ोन पे बातें कर रही थी तब मेरे पति ने मुझे आवाज़ लगायी। जाके देखा तो मेरे बच्चे ने पूरे बिस्तर पे उलटी कर दी थी और ज़ोर ज़ोर से रो रहा था। मेरे पति ने उसे बिस्तर से उठाया तो पता चला उसे तो बुखार है। इससे पहले उसे कभी बुखार हुआ नहीं इसलिए हमें पता भी नहीं था की बुखार में करते क्या है। और उसका रोना देख के हम और घबरा गए।
हमने तुरंत डॉक्टर को फ़ोन करके सब बताया। उन्होंने हमें मिलने बुलाया। वहाँ जाके पता चला उसे वाइरल हो गया है। बुखार ज़्यादा था इसलिए तुरंत इंजेक्शन देना पड़ा। पूरी जाँच हुई, लम्बाई, वज़न, कान का जाँच सब हुआ। उसे ये सब बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था और बार बार मेरे गोद में आने के लिए रो रहा था।
सब जाँच होने के बाद डॉक्टर बोली इसका मूत्र जाँच भी करना पड़ेगा ताकि पता चल जाए की और कुछ नहीं हुआ है। उसके लिए उन्होंने एक पाउच लगा कर ऊपर से डाइपर पहना दिया और कहा वो थोड़ी देर में वापिस आएँगी।
दवाई का असर होने लगा था इसलिए अब वो ख़ुशी से खेल रहा था। थोड़ी देर बाद जब डॉक्टर आयी तो उन्होंने देखा कि अब तक पाउच खली है। उन्होंने बोला इसे और दस मिनट देते है शायद तब तक हो जाए! दस मिनट बाद भी कुछ नहीं हुआ था पर अब उसे भूख लगने लगी थी। डॉक्टर को पूछ के मैंने उसे पहले थोड़ा खाना खिला दिया और उसने थोड़ा पानी भी पिया। हमने डाइपर देखा पर तब भी कुछ नहीं हुआ था।
डॉक्टर बोली इसे थोड़ा बाहर घुमा लाओ, चलने से शायद हो जाए! हम तीनो बाहर चलने गए। तब तो हमें भी भूख लग गयी थी और हँसी भी आ रही थी कि ये कब करेगा! क़रीब दस मिनट तक हम बाहर ही थे और बार बार उसका डाइपर देख रहे थे। आख़िर उसने किया और हम ख़ुश हो गए!
उसे गोद में लेकर हम ख़ुशी से अंदर गए इसी आशा से की अब हमें हॉस्पिटल से निकलने को मिलेगा। पर डॉक्टर बोली की थोड़ी देर बैठो, इसका जाँच तुरंत हो जाएगा। हमने भी सोचा इतनी देर यहाँ है तो और थोड़ी देर बैठ ही जाते है।
हम चुप चाप बैठ कर जाँच होने का इंतज़ार कर रहे थे। बस इसी बात की ख़ुशी थी की दवाई लेने के बाद अब मेरे बच्चे के चेहरे पे हँसी थी।
काफ़ी समय बाद डॉक्टर आयी और हँसते हुए बोलीं की अब ख़तरे की कोई बात नहीं। बस कुछ दवाइयाँ समय से देने को बोलीं। हमने हॉस्पिटल से ही दवाइयाँ ले ली और आख़िरकार बाहर निकले।
तब तक शाम के चार बज गए थे। बहुत भूख लगी थी, सोचा पहले कुछ खा ले पर बच्चे को नींद आने लगी थी इसलिए फिर सीधा घर ही आ गए। घर आते ही वो तुरंत सो गया। क़रीब पाँच बजे के आस पास हमने पिज़्ज़ा मँगवा के खाया।
पूरे दिन जो हुआ उसके बीच मैं तो भूल ही गयी की मेरा जन्मदिन था। कहाँ घूमने का सोचा था और कहाँ हॉस्पिटल घूम आए! पहली बार ऐसा बुखार आया मेरे बेटे को और वो भी ऐसे दिन आया की मुझे हमेशा याद रहेगा! माँ बन्ने के बाद पहले जन्मदिन में मैं सबकुछ भूल कर एक माँ की ही भूमिका निभाती रही।
नोट - जी हाँ, मैंने जन्मदिन भी मनाया ... पर एक हफ़्ते बाद!

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